समझिए: भारत में बाघों के शिकार की स्थिति और उनके आवास को बचाना क्यों जरूरी है

भारत में पहली बार हिरण, जंगली सूअर, नीलगाय और गौर जैसे खुर वाले जानवरों (अंगुलेट्स) की जनसंख्या पर व्यापक रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में पता चला है कि भले ही देश के कुछ हिस्सों में इन प्रजातियों की संख्या अच्छी है, लेकिन ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इनकी आबादी घट रही है। यह केवल इन जानवरों के लिए ही नहीं, बल्कि बाघों के भविष्य के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि बाघ मुख्य रूप से इन्हीं जानवरों पर निर्भर होते हैं।

यह रिपोर्ट नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार की गई है, जिसमें 2022 की अखिल भारतीय बाघ गणना के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया। भारत में दुनिया की लगभग 70% बाघ आबादी (लगभग 3,600 बाघ) रहती है, इसलिए उनके शिकार की स्थिति पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

खुर वाले ये जानवर न केवल बाघों के लिए भोजन हैं, बल्कि ये जंगल के संतुलन और मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन वनों की कटाई और प्राकृतिक आवासों के विनाश जैसी चुनौतियों के कारण इनकी संख्या पर असर पड़ रहा है, जो कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरे की घंटी है।

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